किसी हादसे में यदि आपकी हड्डी बुरी तरह टूटकर चूर-चूर हो गयी है तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। इसके इलाज के लिए जिस महंगे विदेशी बोन फिलर का इस्तेमाल किया जाता था, उसके स्थान पर BHU और IIT के विशेषज्ञों ने सस्ता Indian Bone Fillar(इंडियन बोन फिलर) तैयार कर लिया है। बाहर से आने के कारण विदेशी बोन फिलर की कीमत ढाई से तीन हजार रुपये प्रति ग्राम तक होती है, जो काफी महंगा है, जबकि यहाँ बना बोन फिलर विदेशी बोन फिलर के मुकाबले एक चौथाई तक सस्ता होगा। इंडियन बोन फिलर के लिए आई.आई.टी. में करीब 200 सैंपल बनाये गए हैं। इसके पेटेंट के लिए भी आवेदन किया गया है। इसके निर्माण के लिए कुछ कम्पनियां आगे आयी हैं, अगर सब कुछ ठीक रहा तो एक या दो वर्ष में ही इंडियन बोन फिलर इलाज के लिए बाजार में आ जायेगा। भारत सरकार के मेक इंडिया के तहत यह एक बड़ी उपलब्धि होगी।
गड्ढे को भी भरता: किसी हादसे में जब सिर्फ हड्डी ही टूटती है तो उसको स्टील या पोलीमर लगाकर ही जोड़ दिया जाता है, लेकिन जब उसका चूरा हो जाता है तो चोट के स्थान पर गड्ढे भी हो जाते हैं। अगर उसे भरा नहीं जाये तो हड्डी ठीक से जुड़ नहीं पाती है और चोट का स्थान भद्दा सा लगता है। इसी समस्या को हल करने के लिए बोन फिलर की जरूरत पड़ती है। कैल्शियम (Calcium) और बोन मिनरल की सहायता से इसे तैयार किया जाता है |
जुटे हैं कई विशेषज्ञ: केमिकल इंजीनियरिंग विभाग, आई.आई.टी. के प्रो. प्रदीप कुमार श्रीवास्तव एवं चिकित्सा विज्ञान संस्थान स्थित हड्डी रोग विभाग, बी.एच.यू. के प्रो. अमित रस्तोगी के निर्देशन में टिश्यु इंजीनियरिंग लैब में इंडियन बोन फिलर बनाया जा है। इनके अलावा भी कई विशेषज्ञ जुटे हुए हैं।
जानवरों पर परीक्षण रहा है सफल: बी.एच.यू. के हड्डी रोग विभाग के प्रो. अमित रस्तोगी का कहना है कि बोन फिलर बनाने के लिए काफी दिनों से कार्य चल रहा है। फिलहाल जानवरों पर इसका परीक्षण किया जा रहा है, जो काफी सफल साबित हो रहा है। पेटेंट मिलते ही इसका इंसानों पर परीक्षण शुरू कर दिया जाएगा। इससे खराब से ख़राब टूटी हड्डी को भी जोड़ने में भी सहायता मिलेगी।