कोरोना, आज इस शब्द ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है, आज सोते-जागते बस एक ही शब्द सब जगह सुनाई देता है Corona, Corona, Corona या Covid-19 । पूरी दुुनिया की अर्थव्यवस्था इस एक अकेले शब्द की वजह से औंधे मुँह आ गिरी है। बड़े-बड़े देश जिन्हें अपने मे अभिमान था कि हम विकसित हैं, श्रेष्ठ है, सुपर पावर है वो अब प्रकृति के इस खेल के आगे बेवस हैं। किन्तु कुछ देशों को अभी भी पूरा विश्वास है की इस सबके पीछे सिर्फ चीन की एक सोची समझी चाल है, खैर हमको उससे क्या!
इस सबके बीच भी ऐसा नही है कि दुनिया में सब कुछ गलत ही हो रहा है बहुत कुछ अच्छा भी है जो हमारे आस-पास घटित हो रहा है। ऐसी ही एक खबर वायु प्रदूषण को लेकर नासा की एक रिपोर्ट से आ रही है।
पूरी दुनियां में लॉक डाउन ने पर्यावरण के लिहाज से बेहतरीन तस्वीर पेश की है। नासा के अनुसार उत्तर भारत में वायु प्रदूषण 20 साल में सबसे निचले एयरोसोल के स्तर पर पहुंच गया है। एयरोसोल दृश्यता घटाते हैं। नासा ने इसके लिए वायुमंडल से एयरोसोल के वर्तमान आंकड़ों की तुलना 2016-19 की तस्वीरों से की है। भारत मे 25 मार्च से Lockdown है। नासा में यूनिवर्सिटीज स्पेस रिसर्च एसोसिएशन के वैज्ञानिक श्री पवन गुप्ता के अनुसार लॉकडाउन से पहले कभी उत्तर भारत में वायु प्रदूषण का इतना कम स्तर देखने को नहीं मिला है। 27 मार्च को कुछ इलाकों में बारिश भी हुई है, इससे भी एयरोसोल के स्तर में कमी देखने को मिली है। अमेरिका में दक्षिण एशियाई विदेश उप मंत्री एलिस वेल्स के अनुसार, यह संदेश है कि हम हवा की कोशिशों पर ध्यान दें।
कैसे पता लगाया जाता है हवा में प्रदूषण का स्तर?
नासा के टेरा सैटेलाइट द्वारा जारी तस्वीरों में एयरोसोल ऑप्टिकल डेप्थ (एओडी) की तुलना 2016-2019 के बीच ली गई तस्वीरों से की गई। इसके लिए देखा गया कि प्रकाश एयरबोन पार्टिकल्स से कितना परावर्तित हो रहा है। यदि एयरोसोल सतह के आसपास होते हैं एओडी 1 होती है, यह स्थिति प्रदूषण के लिहाज से गंभीर मानी जाती है। यदि एओडी 0.1 पर है तो वायुमंडल को स्वच्छ माना जाता है।
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